Baglamukhi Chalisa – माँ बगलामुखी चालीसा का पाठ मनुष्य को सभी प्रकार के संकटों और शत्रुओं से रक्षा करता है.
आज के इस पोस्ट में हम माँ बगलामुखी चालीसा को हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित कर रहें हैं. साथ ही विडियो, पाठ करने की विधि, माँ बगलामुखी चालीसा पाठ से लाभ, बगलामुखी चालीसा पीडीऍफ़ आदि दे रहें हैं.
माँ बगलामुखी चालीसा के पाठ के पश्चात Maa Baglamukhi Aarti – माँ बगलामुखी आरती अवस्य करें.
- Baglamukhi Chalisa | बगलामुखी चालीसा
- Importance of Baglamukhi Chalisa बगलामुखी चालीसा का महत्व
- Maa Baglamukhi Chalisa Lyrics
- विडियो
- Method of reciting Chalisa of Goddess Baglamukhi माँ बगलामुखी चालीसा पाठ करने की विधि
- Benefits of reciting Goddess Baglamukhi Chalisa बगलामुखी चालीसा के पाठ से लाभ
- Audio
- Maa Baglamukhi Chalisa PDF
- आग्रह
- जय जय जय श्री बगलामाता चालीसा
Baglamukhi Chalisa | बगलामुखी चालीसा
|| माँ बगलामुखी चालीसा ||
|| दोहा ||
नमो महाविधा बरद , बगलामुखी दयाल |
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ||
|| चौपाई ||
नमो नमो पीताम्बरा भवानी, बगलामुखी नमो कल्यानी |
भक्त वत्सला शत्रु नशानी, नमो महाविधा वरदानी |
अमृत सागर बीच तुम्हारा, रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना, पीताम्बर अति दिव्य नवीना |
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे, सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला |
भैरव करे सदा सेवकाई, सिद्ध काम सब विघ्न नसाई |
तुम हताश का निपट सहारा, करे अकिंचन अरिकल धारा |
तुम काली तारा भुवनेशी, त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |
छिन्नभाल धूमा मातंगी, गायत्री तुम बगला रंगी |
सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे |
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |
दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिव्हा कीलक सघाता |
साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता |
मुद्गर शिला लिये अति भारी, प्रेतासन पर किये सवारी |
तीन लोक दस दिशा भवानी, बिचरहु तुम हित कल्यानी |
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को, बुध्दि नाशकर कीलक तन को |
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके |
चोरो का जब संकट आवे, रण में रिपुओं से घिर जावे |
अनल अनिल बिप्लव घहरावे, वाद विवाद न निर्णय पावे |
मूठ आदि अभिचारण संकट, राजभीति आपत्ति सन्निकट |
ध्यान करत सब कष्ट नसावे, भूत प्रेत न बाधा आवे |
सुमरित राजद्वार बंध जावे, सभा बीच स्तम्भवन छावे |
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर, खल विहंग भागहिं सब सत्वर |
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी |
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, नमो नमो पीताम्बर सोहक |
तुमको सदा कुबेर मनावे, श्री समृद्धि सुयश नित गावें |
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता, दुःख दारिद्र विनाशक माता |
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता, शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता |
पीताम्बरा नमो कल्यानी, नमो माता बगला महारानी |
जो तुमको सुमरै चितलाई, योग क्षेम से करो सहाई |
आपत्ति जन की तुरत निवारो, आधि व्याधि संकट सब टारो |
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी |
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया, हाथ जोड़ शरणागत आया |
जग में केवल तुम्हीं सहारा, सारे संकट करहुँ निवारा |
नमो महादेवी हे माता, पीताम्बरा नमो सुखदाता |
सोम्य रूप धर बनती माता, सुख सम्पत्ति सुयश की दाता |
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो, अरि जिव्हा में मुद्गर मारो |
नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा |
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता |
|| दोहा ||
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल |
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल ||
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Importance of Baglamukhi Chalisa बगलामुखी चालीसा का महत्व
- बगलामुखी चालीसा ( Baglamukhi Chalisa ) माँ बगलामुखी की आराधना करने का एक सरल और सफल माध्यम है.
- यह अत्यंत ही शक्तिशाली और सिद्ध चालीसा है.
- इस चालीसा का पाठ करने वाले साधक पर माँ बगलामुखी की कृपा रहती है.
- शत्रुओं से मुकाबला करने का साहस इस चालीसा के पाठ से मिलती है.
- समस्त प्रकार के भय का निवारण माँ बगलामुखी चालीसा के पाठ से होती है.
- इस चालीसा को सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें.
- माँ बगलामुखी की कृपा प्राप्ति के लिए साधक को भक्तिपूर्वक बगलामुखी चालीसा का पाठ करना चाहिए.
- माता बगलामुखी को पीताम्बरा माता भी कहा जाता है.
- माता धन सम्पति और सुयश की दाता है.
- उनकी कृपा प्राप्ति के लिए माता बगलामुखी चालीसा का पाठ करना एक महत्वपूर्ण माध्यम है.
Maa Baglamukhi Chalisa Lyrics
|| Baglamukhi Chalisa ||
|| Doha ||
Namo Mahavidha Barad, Baglamukhi Dayal.
Stambhan Kshan Me Kare, Sumrit Arikul Kaal.
|| Choupai ||
Namo Namo Pitambara Bhavani, Baglamukhi Namo Kalyani.
Bhakt Vatsala Shatru Nashani, Namo Mahavidha Vardani.
Amrit Sagar Bich Tumhara, Ratna Jadit Mani Mandit Pyara.
Swarn Sinhasan Par Aasina, Pitambar Ati Divya Navina.
Swarnbhushan Sundar Dhare, Sir Par Chandra Mukut Shringare.
Tin Netra Do Bhuja Mrinala, Dhare Mudgar Pash Karala.
Bhairav Kare Sada Sevkai, Siddh Kaam sab Bighna Nasayi.
Tum Hatash Ka Nipat Sahara, Kare Akinchan Arikal Dhara.
Tum Kali Tara Bhuvneshi, Tripur Sundari Bhairavi Veshi.
Chhinnbhal Dhuma Matangi, Gayatri Tum Bagla Rangi.
Sakal Shaktiyaan Tum Me Saajen, Hrin Bij Ke Bij Biraje.
Dusht Stambhan Arikul Kilan, Maran Vashikaran Sammohan.
Dushtochchatan Karak Mata, Ari Jivha Kilak Saghata.
Sadhak Ke Vipati Ki Trata, Namo Mahamaya Prakhyata.
Mudgar Shila Liye Ati Bhari, Pretasan Par Kiye Sawari.
Tin Lok Das Disha Bhavani, Bicharahu Tum Hit Kalyani.
Ari Arisht Soche Jo Jan Ko, Buddhi nashkar Kilak Tan Ko.
Hath Panw Bandhahun Tum Take, Hanahu Jibh Bich Mudgar Baake.
Choron Ka Jab Sankat Aave, Ran Me Ripuon Se Ghir Jaave.
Anal Anil Biplav Ghahrave, Vaad Vivad Na Nirnay Paave.
Mooth Aadi Abhicharan Sankat, Rajbhiti Aapatti Sannikat.
Dhyan Karat Sab Kasht Nasawe, Bhut Pret Na Badha Aawe.
Sumirat Raajdwar Bandh Jaave, Sabha Bich Stambhvan Chaave.
Naag Sarp Brachirshrakadi Bhayankar, Khal Vihang Bhagahin Sab satvar.
Sarv Rog Ki Nashan Haari, Arikul Moolachchatan kaari.
Stree Purush Raaj Sammohak, Namo Namo Pitambar Sohak.
Tumko Sada Kuber Manawe, Shri Samriddhi Suyash Nit Gaaven.
Shakti Shourya Ki Tumhi Vidhata, Dukh Daridra Vinashak Mata.
Yash Aishwarya Siddhi Ki Data, Shatru Naashini Vijay Pradata.
Pitambara Namo kalyani, Namo Mata Bagla Maharani.
Jo Tumko Sumre Chitlaayi, Yog Kshem Se Karo Sahayi.
Aapatti Jan Ki Turat Nivaro, Aadhi Vyadhi Sankat Sab Taaro.
Puja Vidhi Nahi Jaanat Tumhari, Arth Na Aakhar Karahun Nihori.
Main Kuputra Ati Nival Upaya, Hath Jod Sharnagat Aaya.
Jag Me Keval Tumhin Sahara, Sare Sankat Karahun Nivara.
Namo Mahadevi He Mata, Pitambara Namo Sukhdata.
Somya Rup Dhar Banti Mata, Sukh Sampati Suyash Ki Data.
Rodra Rup Dhar Shatru Sanharo, Ari Jivha Me Mudgar Maaro.
Namo Mahavidha Aagara, Aadi Shakti Sunadari Aapara.
Ari Bhanjak Vipatti Ki Trata, Daya Karo Pitambari Mata.
|| Doha ||
Riddhi Siddhi Data Tumhin, Ari Samool Kul Kaal.
Meri Sab Badha Haro, Maa Bagle Tatkaal.
अम्बे माता की स्तुति करें – Jai Ambe Gauri Aarti | जय अम्बे गौरी आरती
विडियो
माँ बगलामुखी की आरती ( Baglamukhi Aarti ) के कुछ यूट्यूब विडियो हम निचे दे रहें हैं. इससे आपको माँ बगलामुखी चालीसा के पाठ में आसानी हो जायेगी.
Method of reciting Chalisa of Goddess Baglamukhi माँ बगलामुखी चालीसा पाठ करने की विधि
- बगलामुखी माता की आराधना के लिए बगलामुखी चालीसा ( Baglamukhi Chalisa ) पाठ के लिए प्रातः काल और संध्या काल का समय उत्तम होता है.
- प्रातः काल स्नान आदि कर लें.
- फिर अगर हो सके तो पीले वस्त्र धारण करें.
- पूजा वाले स्थान को गंगा जल से पवित्र कर लें.
- फिर किसी पूजा की चौकी पर पिला आसन बिछाएं.
- आसन को गंगा जल से पवित्र करें.
- फिर इस पर माता बगलामुखी माता की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें.
- धुप दीप जलाएं.
- माता को पिला फुल चढ़ाएं.
- नैवेद्द चढ़ाएं.
- नैवेद्द में फल और लड्डू चढ़ा सकतें हैं.
- उसके पश्चात सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ बगलामुखी चालीसा का पाठ करें.
- माँ बगलामुखी चालीसा का पाठ आप एक बार, नौ बार या फिर 108 बार कर सकतें हैं.
- फिर आप माँ बगलामुखी की आरती करें.
Benefits of reciting Goddess Baglamukhi Chalisa बगलामुखी चालीसा के पाठ से लाभ
- माँ बगलामुखी चालीसा के पाठ से साधक को माँ बगलामुखी की परम कृपा की प्राप्ति होती है.
- शत्रुओं से परेशान हैं तो माता बगलामुखी की कृपा से शत्रुओं से मुक्ति मिलेगी.
- माँ बगलामुखी चालीसा के पाठ से साधक के अंदर से भय का नाश हो जाता है.
- शत्रुओं से अगर भय लग रहा हो तो बगलामुखी माता की कृपा से वह दूर हो जाता है.
- शारीरिक रोगों से मुक्ति माँ बगलामुखी की कृपा से मिलती है.
- माता बगलामुखी धन-सम्पति और सुयश की दाता है.
- बगलामुखी चालीसा के पाठ से मनुष्य के अंदर साहस और आत्मबिस्वास का संचार होता है.
- विपत्ति से माता अपने भक्त को बचाती है.
- माता नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है.
- भुत प्रेत पिसाच माता बगलामुखी के स्मरण मात्र से भाग जातें हैं.
Audio
Maa Baglamukhi Chalisa PDF
माँ बगलामुखी चालीसा ( Baglamukhi Chalisa ) पीडीऍफ़ फाइल को डाउनलोड करने के लिए आप निचे दिए गए लिंक पर क्लीक करें. इससे आपके सामने बगलामुखी चालीसा पीडीऍफ़ डाउनलोड पेज खुल जाएगा.
इस पेज में आपको डाउनलोड बटन मिलेगा. इस डाउनलोड बटन को दबातें हैं माँ बगलामुखी चालीसा डाउनलोड हो जायेगी.
आग्रह
माता बगलामुखी माँ दुर्गा का ही एक रूप है. इनकी स्तुति और आराधना करना सदा ही कल्याणकारी होता है.
सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ माता बगलामुखी की आराधना करें.
माता बगलामुखी की परम कृपा अवस्य ही आप पर रहेगी.
इस पोस्ट में किसी भी प्रकार के सुधार के लिए आप हमें निचे कमेंट बॉक्स में लिख सकतें हैं. आपके सुझाव से हमें इस साईट को और बेहतर करने में सुविधा होती है.
माता बगलामुखी की एक और चालीसा प्रचलन में है. जो हम यहाँ निचे प्रकाशित कर रहें हैं.
आप किसी भी चालीसा के माध्यम से माँ बगलामुखी की आराधना कर सकतें हैं.
जय जय जय श्री बगलामाता चालीसा
|| माता बगलामुखी चालीसा ||
॥ दोहा ॥
सिर नवाइ बगलामुखी,लिखूँ चालीसा आज ।
कृपा करहु मोपर सदा,पूरन हो मम काज ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री बगला माता ।
आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥
बगला सम तब आनन माता ।
एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥
शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।
अस्तुति करहिं देव नर-नारी ॥
पीतवसन तन पर तव राजै ।
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥
तीन नयन गल चम्पक माला ।
अमित तेज प्रकटत है भाला ॥
रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।
शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥
आसन पीतवर्ण महारानी ।
भक्तन की तुम हो वरदानी ॥
पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।
सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥
एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।
वेद पुराण सन्त अस भाखै ॥
अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।
जाके किये होत दुख-नाशा ॥
प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।
पीतवसन देवी पहिरावै ॥
कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥
माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥
धूप दीप कर्पूर की बाती ।
प्रेम-सहित तब करै आरती ॥
अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥
मातु भगति तब सब सुख खानी ।
करहु कृपा मोपर जनजानी ॥
त्रिविध ताप सब दु:ख नशावहु ।
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥
बार-बार मैं बिनवउँ तोहीं ।
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥
पूजनान्त में हवन करावै ।
सो नर मनवांछित फल पावै ॥
सर्षप होम करै जो कोई ।
ताके वश सचराचर होई ॥
तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।
भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥
दु:ख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।
निश्चय सुख-संपति सब होई ॥
फूल अशोक हवन जो करई ।
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥
फल सेमर का होम करीजै ।
निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥
गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।
तेहि के वश में राजा होई ॥
गुग्गुल तिल सँग होम करावै ।
ताको सकल बन्ध कट जावै ॥
बीजाक्षर का पाठ जो करहीं ।
बीजमन्त्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥
एक मास निशि जो कर जापा ।
तेहि कर मिटत सकल सन्तापा ॥
घर की शुद्ध भूमि जहँ होई ।
साधक जाप करै तहँ सोई ॥
सोइ इच्छित फल निश्चय पावै ।
जामे नहिं कछु संशय लावै ॥
अथवा तीर नदी के जाई ।
साधक जाप करै मन लाई ॥
दस सहस्र जप करै जो कोई ।
सकल काज तेहि कर सिधि होई ॥
जाप करै जो लक्षहिं बारा ।
ताकर होय सुयश विस्तारा ॥
जो तव नाम जपै मन लाई ।
अल्पकाल महँ रिपुहिं नसाई ॥
सप्तरात्रि जो जापहिं नामा ।
वाको पूरन हो सब कामा ॥
नव दिन जाप करे जो कोई ।
व्याधि रहित ताकर तन होई ॥
ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।
पावै पुत्रादिक फल चारी ॥
प्रातः सायं अरु मध्याना ।
धरे ध्यान होवै कल्याना ॥
कहँ लगि महिमा कहौं तिहारी ।
नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥
पाठ करै जो नित्य चालीसा ।
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥
॥ दोहा ॥
सन्तशरण को तनय हूँ, कुलपति मिश्र सुनाम ।
हरिद्वार मण्डल बसूँ, धाम हरिपुर ग्राम ॥
उन्नीस सौ पिचानबे सन् की, श्रावण शुक्ला मास ।
चालीसा रचना कियौं, तव चरणन को दास ॥
बगलामुखी माता को पीताम्बरा माता के नाम से भी जाना जाता है.
माँ बगलामुखी चालीसा के पाठ से होने वाले लाभों का वर्णन करना अत्यंत ही कठिन कार्य है. माता शत्रुओं का नाश करती हैं. माता की कृपा से मनुष्य के अंदर का भय समाप्त होता है.
साधक के अंदर परिस्थितयों का सामना करने का साहस आ जाता है.
माता धन सम्पति और सुयश प्रदान करती है.
रोगों और कष्टों से मुक्ति प्रदान करती है.
दुष्ट नकारात्मक शक्तियों का माता बगलामुखी नाश करती हैं.
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